मारा गया अंत में...!
वो घूरता गया, फूस फुसाकर, उसे प्राकृतिक स्वभाव, कह दीं। वो यौन कर्मी के पास गया, पुरुष की, प्राकृतिक आकांक्षाएं, कहकर बातें ख़त्म कर दी गईं, एक वो था, जो दो मीठी सात्विक बातें, करना चाहा, उसपे शंकाएं टूट पड़ीं, अंजान है इसपे भारोसा नहीं.! ये मुझसे बातें क्यों करना चाहता है.? इसकी सोच लटक होगी! महिला उत्पीड़क कहा गया। फिर एक दिन, पेड़ गिरने से , मारा गया अंत में ये..! ~ असमर्थ