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कलम ने ही तो साथ दिया है ~ मनीष कुमार "असमर्थ"

Instagram   Quotes   Facebook page प्रकाशित    "कलम ने ही तो साथ दिया है", -  थके हारे हुए, हताश होकर कई किलोमीटर चलने के बाद जैसे ही अपने कमरे में घुसा! घना अंधेरा, कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। किताबें बिखरी हुईं थीं, ए -4 साइज के पेपर फैले हुए थे जैसे ही धोखे से कागजों में पांव पड़ता, खर्र सी आवाज़ आती , दिल से चित्कार हो उठता कि अरे यार मैने विद्या को पांव मार दी! जैसे तैसे संभलते हुए उन कागजों और किताबों के मेले में अपने दोस्त को ढूंढना शुरू किया। ऐसे लग रहा था जैसे भारी भरकम कुंभ के मेले में मेरा दोस्त कहीं खो गया हैं। व्याकुल क्यों न होऊं आखिर वही तो था जिसके वजह से मैं अंधेरे को हटाने वाला था। कभी किताबों की बंडले हटाता ,तो कभी ए-4 साइज के पेपर तो कभी समाचार पत्रों को हटाता और ढूंढ रहा था कि आखिर मेरा मित्र खो कहां गया है?? सुबह यहीं छोड़के तो गया था। बहुत प्रयास करने के बाद थककर बिस्तर के एक पाया को पकड़कर हाथ पांव फैलाकर उसीपे टिक जाता हूं। और उसी को याद करते हुए फर्श पे ही सो जाता हूं नए नवेले सूरज की चमक जैसे ही मेरे आंखों में अचानक पड़ती हैं जंभाई ल...