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मेरी चाहत ~ मनीष कुमार "असमर्थ"

Instagram   Quotes   Facebook page प्रकाशित   "मेरी चाहत"  मेरी चाहत ही बेमिस्ल है, ऐसे ही खिलना चाहता हूं।  हु- ब-हू टिमटिमाता है रात में जो, उसे तोड़ लाना चाहता हूं।.. उसकी एक मुस्कुराहट से ही,टुकड़ों में बिखर जाना चाहता हूं।। मेरी चाहत ही बेढब है, नींद में सपनों से जीतना चाहता हूं। मैं तो अंजुली में रखा कुछ बूंद हूं,या किनारों मे पड़ा कुछ रेत हूं।।,  वो रंग धुरेड़ी सी मैं फागुन सा हूं, वो रंग पंचमी सी मैं मास चैत्र सा हूं। पहली नज़र अंदाज से ही,पल में बह जाना चाहता हूं।। मेरी चाहत ही बेफ़ाइदा है, जवानी में ही ढह जाना चाहता हूं।।  रास्तों में इस ओर कांटों और कंकड़ों के अंबार है। सुदूर है ये मंजिल, तुम्हें आना इस पार है।। ये रास्ते युद्ध से हैं,नुकीले शीशों को वार है। न पहले जीत थी और न अब भी हार है।। उसकी कदमें तो मेरी ओर उठे!! पांव तले कली बनकर बिछ जाना चाहता हूं। मेरी चाहत ही तन्य है, उसकी ओर खिंच जाना चाहता हुं। ओस ने सर्द की कीमत बताई, भाप ने तप्त देह की, सांस ने तन की कीमत बताई,पतझड़ ने पेड़ की  एक बार उसकी तप्त आंखे तो मेरी ओर उठें। भाप-ओस, ...