संदेश

प्रेम संदेश लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ये इश्क का शहर नहीं....~ मनीष कुमार "असमर्थ"

   Instagram   Quotes   Facebook page प्रकाशित   ये इश्क का शहर नहीं..... ये इश्क का शहर नही है... ये तो नफरतों की ऊंची इमारतें..! घृणाओं की चौड़ी सड़कें... चिड़ चिड़ापन लिए हुए ये ट्रैफिक.... हिंसक चौक, आंखे तरेरती भीड़, तनाव में भरे पार्क, खिसियाई बाज़ार... चिक चिक करती वाहनों की आवाज़ गालियां देती नालियों की बास और गुस्सैल बस्तियों से विकसित है। अगर यहां तुमने प्रेम करने का साहस किया..!  तो पन्नियों में बोटी बोटी काटकर  गांव भेज दिए जाओगे...! जहां तुम्हारा गांव.. बरगद के पेड़ के नीचे, चारपाई बिछाकर प्रतीक्षा रत होगी। जहां तुम्हारी मां , सड़क के किनारे,   माथे पर एक हाथ रखे हुए,  तुम्हारे टुकड़ों का इंतज़ार कर रही होगी...! तुम्हारे खेत - खलिहान तुम्हारे कटे हिस्सों के पसीने के प्यासे होंगे..! वो नदियां, वो झरने.. तुम्हारे रक्तरंजित गोश को  नहलाने के लिए, व्याकुल हो रहे होंगे... आम के पेड़ों की डालियां  तुम्हारे अव्यवस्थित अंगो को झूलाने के लिए उत्साहित हो रहे होंगे..! शहर से गर इश्क लेकर गांव गए ,तो टुकड़ों में जाओगे! क्योंक...

"नर्मदा के जलधारा की असमंजस्य भाव" ~ मनीष कुमार "असमर्थ"

Instagram   Quotes   Facebook page प्रकाशित    "नर्मदा के जलधारा की असमंजस्य भाव" विकास का उल्लास है ये, या वेदना विलास है ये। बहाव का भाव है कि ठगी सी हताश है ये।। नाद या निनाद है ये, शांत या विषाद है ये। क्रोध की ये वेग है, या आंसूओं की तेज है ये।। अलगाव का ये कृंद है, या दो हृदय का द्वंद्व है ये। रीझ है या खीझ है ये, या वियोग की टीस है ये। कंकड़ों की चीर है ये, या तरु की पीर है ये। प्रवाह या प्रवीर है ये, अर्वाचीन या प्राचीन है ये।                              ~ मनीष कुमार "असमर्थ"©®

मेरी चाहत ~ मनीष कुमार "असमर्थ"

Instagram   Quotes   Facebook page प्रकाशित   "मेरी चाहत"  मेरी चाहत ही बेमिस्ल है, ऐसे ही खिलना चाहता हूं।  हु- ब-हू टिमटिमाता है रात में जो, उसे तोड़ लाना चाहता हूं।.. उसकी एक मुस्कुराहट से ही,टुकड़ों में बिखर जाना चाहता हूं।। मेरी चाहत ही बेढब है, नींद में सपनों से जीतना चाहता हूं। मैं तो अंजुली में रखा कुछ बूंद हूं,या किनारों मे पड़ा कुछ रेत हूं।।,  वो रंग धुरेड़ी सी मैं फागुन सा हूं, वो रंग पंचमी सी मैं मास चैत्र सा हूं। पहली नज़र अंदाज से ही,पल में बह जाना चाहता हूं।। मेरी चाहत ही बेफ़ाइदा है, जवानी में ही ढह जाना चाहता हूं।।  रास्तों में इस ओर कांटों और कंकड़ों के अंबार है। सुदूर है ये मंजिल, तुम्हें आना इस पार है।। ये रास्ते युद्ध से हैं,नुकीले शीशों को वार है। न पहले जीत थी और न अब भी हार है।। उसकी कदमें तो मेरी ओर उठे!! पांव तले कली बनकर बिछ जाना चाहता हूं। मेरी चाहत ही तन्य है, उसकी ओर खिंच जाना चाहता हुं। ओस ने सर्द की कीमत बताई, भाप ने तप्त देह की, सांस ने तन की कीमत बताई,पतझड़ ने पेड़ की  एक बार उसकी तप्त आंखे तो मेरी ओर उठें। भाप-ओस, ...

तितली रानी से मेरा सवाल ~ मनीष कुमार "असमर्थ"

   Instagram   Quotes   Facebook page प्रकाशित   "तितली रानी सेे मेरा सवाल" तितली रानी तितली रानी, फूल फूल पर जाती क्यों हो? एक फूल ही जन्नत सा था। कुछ रंगों पे गुम जाती क्यों हो? कली-कली पर भौरों के संग,  फूलों पर मंडराती क्यों हो? तुम सुन्दर हो, तुम कोमल हो, पर इतना तुम इतराती क्यों हो? कभी फूल का रस पीती हो। कभी दूर उड़ जाती क्यों हो? कभी आंख से ओझल होकर, अपने पंख दिखाती क्यों हो? कभी मिलेंगे,यहीं मिलेंगे। ऐसा आस जगाती क्यों हो? गेरूए रंग का वेश बनाकर,  घर परिवार बसाती क्यों हो??   चंचलता इतनी है अच्छा! तो फूलों पे रुक जाती क्यों हो? जब तुम्हे पुकारा करता हूं। तो तुम गूंगी बन जाती क्यों हो? तितली रानी तितली रानी, फूल फूल पर जाती क्यों हो? एक फूल जो सूख रहा है। जाने तुम मुरझाती क्यों हो? ~ मनीष कुमार "असमर्थ" ©®