दोहा संकलन
तितर बितर सा बह गया, पल्लव शीप पराग। बूंद हवा बन उड़ गया, ज्यों डोला मन ढाक।। गागर में न नीर बचा, बचा न मन में पीर। मुख वचन मल धूर बना , दूषण बना शरीर।।
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