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निगाहें की निगाहों से शिकायत...!

  Instagram Facebook page   Quotes   प्रकाशित निगाहें निगाहों से पूंछ रहीं हैं, कि क्या..?? बात क्या है..? तुम इंग्लिश टाइप गालियां देने वाले, अब ये हुजरात क्या है..? निगाहों ने कहा मैं मासिनराम बन,हमेशा बरसती रहती हूं। तुम तो ठहरे अल-हुतैब के! तुम्हें पता ही नहीं बरसात क्या है?  मुझे याद है जब एक अमावस, तुम और मैं अकेले सड़क पर थे। अंधेरा था न! तुम जान ही नहीं पाए होगे,वो बीती रात क्या है..? पलकों से ईशारा करते हो,फिर नज़रे चुरा के भाग भी जाते हो..! किसी को आंखों का तारा कहते हो,पता भी है मुलाकात क्या है?? निगाहें ने जवाब दिया कसूर मेरा होता है,छूरी दिल पे चल जाती है। फिर छुप छुप के रोना मुझे पड़ता है , मालूम है मेरे हालात क्या है?? ~  मनीष कुमार "असमर्थ"

बिछुरने का इज़हार

  Instagram Facebook page   Quotes   प्रकाशित   आसमां खाली खाली सा है, जमीं खाई बनता जा रहा है । आज उनसे बिछुड़ने का जहर, मिठाई बनता जा रहा है।। मन करता और बहुत मन करता है, पाकीजों को कैद करलू । अब तो बढ़ती बढ़ती दूरी ही, परछाईं बनता जा रहा है।। आंधियों अब अलविदा का वक्त है, मिलेंगे किसी तूफानी में। नाव तो पत्थर का था ,अचानक ही हवाई बनता जा रहा है।। कुछ दीदियां मिलीं कुछ दादियां, कुछ भेल मिली कुछ पूरियां। टूटते कुनबे में वो ठिनगा अब सबका भाई बनता जा रहा है।। वे रिहायशी ढोल कुछ फटे बांसुरी से थे , सुस्त गरीबों के लिए। जाने क्यों आज से विलापित शहनाई बजता जा रहा है?? एक ईश्वर की तरह था उनमें से, मेरे तकदीर में नया चांद। हृदय के फटे चिथड़े किए,घावों में सिलाई पड़ता ही जा रहा है।। किताबों के कुछ पन्नों में छुपाए रखे थे, बेतरतीब बातें । अब तक राई सी थी, अब जाते जाते तराई बनता जा रहा है। ~ मनीष कुमार "असमर्थ"