बूंद
मन आमोद करती आंखों से बहती बूंदे। धुल देती हैं यादों में रखी बिछोह की आखिरी मुलाकातें। शैंपू से सुगंधित केश, गाल को छूते हुए गरजे थे, अब भी फटे शुष्क भूमि को, नम कर देती है, जब आकाश से गिरती हैं बुंदे। भुजंग द्रव बूंदों सा, तुम्हारी मुस्कान के साथ, वो आखिरी अलविदा, देह नील करके, प्राण शांत कर दीं थीं। फूलों में चिपके, शीत जलबिंदु, सुनहरे भूरे लटों पे, माणिक की भांति, चित्त में चित्रित, तुम्हारी आखिरी चित्र। सूर्य का अग्नि, माथे से गिराती जलबिंदु, क्षणिक सुख देती हैं, जब टकराती हैं शीतल हवा। पहले घाव फिर मरहम, तुम्हारे साथ आख़िरी भेंट सा था। ~ असमर्थ