समन्दर बोलता है
जब तुम चुप रहते हो तो उसका जादू मंतर बोलता है।
जब तुम बोलते हो तो सूखा समंदर बोलता है।
हड़तालों को सन्नाटों में जैसे ही बदला जाता है।
तब तुम्हारा अनशन अंदर ही अंदर बोलता है।
तवारीख, वार की खामोशी रहती हैं दिसंबर तक
जनवरी के बाद तुम्हारे लिए ये कैलेंडर बोलता है।
चिंगारी लेने गए थे, चिमोट लाए सुरज को
हाय! तौबा हाय! तौबा बवंडर बोलता है।
पानी से पसीना अलग करने में दफ्न हुईं यातनाएं
नांगेली, निर्भया बनकर हर एक खंडहर बोलता है।
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