वो छोटी बनी रही।

 वो छोटी बनी रही।

मैं बड़ा बना रहा।

वर्णमाला के क्रम में आगे आने से 

मैं आगे ही बना रहा।

वो पुष्पपथिनी* फूल बनी रही।

मैं हमेशा जड़ बना रहा।

वो पहाड़ों की रानी नदी बनी रही।

मैं खारा समंदर बना रहा।

वो आंसू बनी रही।

मैं आंख बना रहा।

वो पृथ्वी बनी रही।

मैं आकाश बना रहा।

वो गर्भ बनी रही।

मैं भ्रूण बना रहा।

वो सती बनी रही।

मैं क्रूर बना रहा।


 -असमर्थ


*पुष्पपथिनी का अर्थ गर्भधात्री है।


 



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