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आए हो

 दवा लाए हो..? नहीं तो फिर क्यूं आए हो.? सुबह से कहां थे.? सुबह आए हो। कुछ पैसा मिला.? कुछ खाना लाए हो.? किसी ने काम दिया.? थके आए हो..! आबरू ले गए थे..! ख़ाली आए हो..? ~ असमर्थ 

ठीक है।

 तुम कह तो दो हां ठीक है। रूखा दाढ़ी हैं चेहरा ठीक है।। दिन में बेशर्मी है। रात में ठीक है।। नशीली आंखें है। काले होंठ ठीक हैं।। तुम शर्मीले हो। हम कहीं ठीक हैं।।   आम तो खट्टे होते हैं। इमली ठीक है।। ~असमर्थ 

तू पुकारे अगर तो मैं चला आऊंगा।

         तू पुकारे अगर तो मैं चला आऊंगा। जिंदा आईन का अब मैं पता लाऊंगा। तेरे ईमानदार जमीं को जमींदार ले गया। तेरे हिस्से की नुज़ूल मैं अता लाऊंगा।  चुनाव आने वाले हैं,मेरा वादा है तुझसे  पंचवर्षीय शान-ए-शौकत का मज़ा लाऊंगा। तेरी खुशी,तेरा प्यार,तेरे लोग तुझे सौगात में दूंगा तेरी ख़ाक होने का अब मैं नया नशा लाऊंगा। दुनियां बढ़ती गई अच्छाई से अच्छाई की तरफ़। अच्छाई से अच्छा लेकर,तेरा बुरा लाऊंगा।  ~असमर्थ 

धुआं देख

 पतझड़ न देख, जंगल की धुआं देख। बारिश न देख, झोपड़ी की धुंआ देख। सर्दी न देख, नदी की धुआं देख। खेत न देख, सड़क की धुंआ देख। आंख न देख, अंदर की धुंआ देख। दंगे न देख, संसद की धुआं देख। तारे न देख, आसमां की धुआं देख। रोटी न देख, अम्मा की धुआं देख। ~ असमर्थ