क्या करते जहर को साथ में रखना ही था।

क्या करते जहर को साथ में रखना ही था।
पीते या न पीते, हमें तो मरना ही था।

अक्स ने उस गली में छोड़ दिया, रूह ने इस गली में।
कोई चले या न चले, लगा उसे तो साथ चलना ही था।

पौधा लगाकर आसमां से धुआं हटादी मैने।
उन्हीं सांसों को कत्ल मेरा, एक दिन करना ही था।

फटा जेब जेब में बटुआ, बटुए में थी दुनियां मेरी
सफर में मैं साथ में जेबकतरा, आज उसे बिछड़ना ही था।।

सुरज उसके तरफ थे , चांद सितारे भी थे उसी के तरफ़ ।
फिर तो सारी दुनियां को, एक दिन बिखरना ही था।

~ असमर्थ 

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