आंखों को उजाला चाहिए।
आंखों को उजाला चाहिए। भूखों को निवाला चाहिए।। जिनके दहलीज़, सोने के बने हों। उन्हें क्या हुज़ूर-ए-वाला चाहिए।। नज़र अंदाज़ आंखें,उक़ूबत की हैं मेरी। ऐ अदालत मुझे ,अभी फैसला चाहिए।। चिड़ियां को कोई और चिड़ा ले गया। मुझे भी कोई और घोंसला चाहिए।। टूट चुका है सब्र ,मेरा इम्तिहान देते। आज़म मुझे थोड़ा,और हौसला चाहिए।। ~ असमर्थ